लॉकडाउन के चलते दूरंतो स्पेशल ट्रेनों से देश के हर कोने में पहुंचेगा दूध

नई दिल्ली। कोरोना लॉकडाउन के दौरान देश में कहीं दूध की कमी न होने पाए इसके लिए रेलवे ने देश के दुग्ध उत्पादक केंद्रों से खपत वाले इलाकों में विशेष ट्रेनों के जरिए दूध पहुंचाने की मुहिम शुरू की है। इस श्रृंखला के तहत दक्षिण भारत से दूध दूरंतो स्पेशल नाम से सुपर फास्ट ट्रेनें देश के अन्य भागों के लिए चलाई जा रही हैं।



दूध, आम और तरबूजों से लदी दूध दूरंतो स्पेशल दिल्ली के लिए रवाना


इस क्रम में शनिवार को दक्षिण मध्य रेलवे की ओर से ढाई लाख लीटर दूध तथा 23-23 टन आम और तरबूजों से लदी दूध दूरंतो स्पेशल दिल्ली के लिए रवाना की गई। ये दूध दूरंतो स्पेशल ट्रेन रविवार को शाम करीब पौने छह बजे नई दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्टेशन पर पहुंचेगी। इस स्पेशल ट्रेन की रेक में 2.40 लाख लीटर दूध से भरे 6 टैंकरों के अलावा 23 टन आमों तथा 23 टन तरबूजों से लदी दो पार्सल वैन शामिल हैं। 


दूध की बड़े पैमाने पर मांग को लेकर रेलवे ने चलाई दूध स्पेशल ट्रेनें


इससे पहले रेलवे की ओर से दूध की ढुलाई के लिए पार्सल ट्रेनों का उपयोग किया जा रहा था, लेकिन दूध की बड़े पैमाने पर मांग को देखते हुए अब पूरी की पूरी दूध स्पेशल ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया गया है, जिनके साथ कुछ अन्य जरूरी वस्तुओं के पार्सल वैन भी अटैच होंगे। इन ट्रेनों को 110 किमी की स्पीड पर रास्ते में बिना रोके दौड़ाया जा रहा है।


पार्सल ट्रेनों के रूट दूध दूरंतो स्पेशल ट्रेनों की अपेक्षाकृत छोटे हैं


कोरोना लॉकडाउन के मद्देनजर रेल प्रशासन ने ई-कामर्स कंपनियों तथा अन्य कारपोरेट ग्राहकों की जरूरत को पूरा करने के लिए टाइम टेबल पर आधारित पार्सल ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया था। इसके तहत अब तक 10 सबसे महत्वपूर्ण रूटों पर 30 पार्सल ट्रेनें चलाई जा चुकी हैं। जबकि मांग के आधार पर 18 अन्य रूटों पर पार्सल ट्रेनें चलाने की तैयारी चल रही है। परंतु पार्सल ट्रेनों के ये रूट अपेक्षाकृत छोटे हैं। जबकि दूध दूरंतो स्पेशल ट्रेनों के रूट काफी लंबे होंगे।


15 अप्रैल से यात्री ट्रेनें चलाने की रेलवे की तैयारी


इस बीच रेलवे ने 15 अप्रैल से यात्री ट्रेनें चलाने की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि वास्तव में ट्रेनें कबसे चलेंगी इसका फैसला सरकार द्वारा लॉकडाउन खत्म किए जाने के फैसले पर निर्भर करेगा। फिलहाल लॉकडाउन 14 अप्रैल तक है, लिहाजा यदि 15 से यात्री ट्रेनें चलाने की जरूरत पड़ी तो रेलवे उसके लिए तैयार रहेगा। शुरू में लंबी दूरी की मेल एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जाएंगी। जबकि बाद में पैसेंजर ट्रेनों का नंबर आएगा। इस संबंध में रेलवे अफसरों और कर्मचारियों को तैयार रहने के लिए कहा गया है।